चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने 5 मार्च 2023 को अपना रक्षा बजट 7.2 प्रतिशत बढ़ाकर 1.55 ट्रिलियन युआन यानि $225 बिलियन डॉलर करने की घोषणा की है। चीन में रक्षा बजट 2013 से लगभग दोगुना हो गया है। अब चीन, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बजट वाला देश बन गया है। पिछले साल 2022 में चीन का रक्षा बजट 1.45 ट्रिलियन युआन था। अगर इसे डॉलर में समझें तो लगभग $230 बिलियन डॉलर था।
जी हां, डॉलर में देखें तो चीन के रक्षा बजट में 5 बिलियन की कमी दिखती है, लेकिन ऐसा है नहीं। दरअसल युआन के मुकाबले डॉलर की मजबूती को देखते हुए इस साल चीन का रक्षा खर्च 230 से घटकर 225 बिलियन डॉलर हुआ है। जैसे इस समय एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6.94 चाइनीज युआन है। जबकि साल 2022 में जब बजट पेश किया था, तब एक डॉलर के मुकाबले युआन की कीमत 6.35 थी। इसलिए युआन के मुकाबले देखें तो रक्षा बजट वाकई में बढ़ा है लेकिन डॉलर में देखें तो रक्षा बजट 5 बिलियन कम हुआ है।
इस बजट प्रस्ताव को पेश करते हुए निवर्तमान प्रधानमंत्री ली केचियांग ने कहा कि बाहरी वातावरण में अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि देश के सैन्य बल में विस्तार करने की जरूरत के साथ-साथ सेना को युद्ध की अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने की जरूरत है। जिससे सेना पार्टी और चीनी जनता द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारियों को पूरा कर सके।
रक्षा बजट में दूसरे नंबर पर आता है चीन
चीन से पहले अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और भारत भी अपना रक्षा बजट बढ़ा चुके हैं। भारत ने 2023-24 के लिए $72.6 बिलियन डॉलर का बजट पेश किया है, यानी भारत के मुकाबले चीन का रक्षा बजट करीब तीन गुना ज्यादा है। दुनिया में नंबर वन पर आता है अमेरिका। अमेरिका ने 2023 के लिए $816 बिलियन डॉलर का रक्षा बजट पेश किया है।
रक्षा पर जीडीपी का कुल कितना खर्चा
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक साल 2021 में चीन ने अपनी जीडीपी का 1.7 प्रतिशत राशि सेना पर खर्च की थी। अमेरिका ने साल 2022 में अपनी जीडीपी का 3.5 प्रतिशत सैन्य क्षमताओं पर खर्च किया। वहीं साल 2022-23 में भारत ने अपनी जीडीपी का 2.9 प्रतिशत अपनी रक्षा जरूरतों पर खर्च किया था।
चीन क्यों रक्षा पर कर रहा इतना खर्च?
चीन की जो महत्वाकांक्षी विस्तारवादी नीति है इसकी वजह से उसे अपने रक्षा बजट पर भारी खर्च करना पड़ता है। फिलहाल चीन की चिंताओं में दक्षिण चीन सागर के अलावा भारत भी शामिल है। एकतरफ चीन जिन पड़ोसी देशों से घिरा है, उसमें दक्षिण कोरिया, वियतनाम, फिलिपीन्स, जापान, इंडोनेशिया हैं। यह सभी चीन की दक्षिण चीनी सागर में एकाधिकार की नीति से चिढ़े हुए हैं। ऐसे में निश्चित तौर पर चीन को दबदबा कायम रखने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है।
इसके अलावा क्वाड देश- ऑस्ट्रेलिया, यूएस, जापान और भारत मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बिना किसी के दवाब के व्यापार करना चाहते हैं। मगर चीन यहां भी अपना दबदबा कायम करना चाहता है। क्वाड पर अतिरिक्त दवाब बनाने के लिए भी चीन अपने सैन्य बजट को बढ़ा रहा है।
दुनिया में रक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देश
अमेरिका, पूरी दुनिया में रक्षा बजट पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देशों में पहला देश है। अमेरिका अपनी सेना पर फिलहाल $816.7 बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च कर रहा है। जबकि चीन का रक्षा बजट $225 बिलियन डॉलर (1.55 ट्रिलियन युआन) है।
साल 2022 में रूस का सैन्य बजट 4.7 ट्रिलियन रूबल मतलब $75 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यूक्रेन यूद्ध के मद्देनजर संभावना है कि साल 2023 में रूस लगभग $84 बिलियन डॉलर का रक्षा बजट पेश करेगा। रूस के बाद अगला नंबर भारत का है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2023-24 के रक्षा बजट पर करीब 69 हजार करोड़ की बढ़ोत्तरी का ऐलान किया है। ऐसे में भारत का रक्षा बजट 5.94 लाख करोड़ हो गया है। डॉलर में देखें तो यह राशि 72.61 बिलियन डॉलर है।
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय (MoD) ने 22 फरवरी 2023 को साल 2022 में अपनी रक्षा पर खर्च का ब्यौरा साझा किया है। वर्ल्ड बैंक के डेटा अनुसार वित्तीय वर्ष 2021/22 के लिए यूके का रक्षा खर्च 68.37 बिलियन डॉलर था। इसी तरह फ्रांस का सैन्य बजट $56.64 बिलियन डॉलर, जर्मनी का रक्षा बजट $55.4 बिलियन डॉलर, जापान का $55 बिलियन डॉलर, सऊदी अरब का $45.6 बिलियन डॉलर, और दक्षिण कोरिया का $42.3 बिलियन डॉलर है।