नई दिल्ली l राजधानी में प्रवासी श्रमिकों के लिए बड़े बंदोबस्त की तैयारी है। दिल्ली सरकार महानगर के अलग-अलग हिस्सों में इनके लिए सपोर्ट सेंटर खोलने वाली है। इन सेंटरों पर आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज बनाए जाएंगे। इसका मतलब है कि प्रवासी श्रमिकों को इन्हें बनवाने के लिए जगह-जगह नहीं भटकना पड़ेगा। अलग-अलग तरह की सरकारी स्कीमों का फायदा उठाने के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है। ये सेंटर वन-स्टॉप डेस्टिनेशन की तरह काम करेंगे। इनमें असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए सभी तरह के दस्तावेज एक ही छत के नीचे बनेंगे। इससे करीब 53 लाख माइग्रेंट वर्कर्स को फायदा होगा।
पूर्वी दिल्ली की झिलमिल कॉलोनी के विश्वकर्मानगर में बने ज्वाइंट लेबर कमिश्नर के दफ्तर में ऐसा पहला माइग्रेंट वर्कर सपार्ट सेंटर बनेगा। सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि दो और सेंटर कालकाजी और कर्मपुरा में लेबर डिपार्टमेंट के ऑफिसों में बनने हैं अधिकारी ने बताया कि इन सेंटरों से करीब 52.5 लाख माइग्रेंट लेबर्स को मदद मिलेगी। ये सभी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इनके पास प्रोविडेंट फंड अकाउंट नहीं है। न ही ये इम्प्लॉयी स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (ESIC) के दायरे में आते हैं।
सेंटर में इन लोगों की महत्वपूर्ण दस्तावेजों को बनवाने में मदद की जाएगी। इनमें आधार, राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड इत्यादि शामिल हैं। यह सेंटर वन-स्टॉप सॉल्यूशन की तरह काम करेगा। इसका मतलब है कि लोगों को दस्तवेज बनवाने के लिए अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
सेंटर पर माइग्रेंट वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। फिर महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेजों को प्राप्त करने में इनकी मदद की जाएगी। इन दस्तावेजों के सहारे वो अलग-अलग तरह की सरकारी स्कीमों का लाभ उठा सकेंगे। ई-श्रम पोर्टल में रजिस्ट्रेशन के आंकड़े इनके बारे में एक अनुमान जाहिर करते हैं। इसके अनुसार, अभी 7.7 लाख बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन वर्कर्स दिल्ली सरकार के साथ पंजीकृत हैं। वहीं, 31 लाख वर्कर्स अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम करते हैं।