नई दिल्ली। अगस्त के महीने में देश के आयात बिल (Import Bill) में हुई वृद्धि और निर्यात (Export) में आई गिरावट के कारण व्यापारिक घाटा (Trade Deficit) लगातार बढ़ रहा है। विश्लेषकों ने अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित दुष्प्रभावों को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। इस वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में 7 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है और मौजूदा परिस्थितियों को देखकर ऐसा लग रहा है कि महंगाई और वैश्विक अस्थिरता के कारण रुपये पर दबाव अभी बना रहेगा।
बता दें, शनिवार को सरकार ने अगस्त माह का आयात-निर्यात डाटा जारी किया था, जिसमें सालाना आधार पर भारत का निर्यात 1.15 फीसदी गिरकर 33 बिलियन डॉलर पर हो गया है, जबकि इसी दौरान आयात 36.8 फीसदी बढ़कर 61.7 बिलियन पर पहुंच गया है।
इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में (अप्रैल-अगस्त) भारत ने 192.6 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है, जबकि 317 बिलियन डॉलर का आयात किया है। इस दौरान भारत का व्यापारिक घाटा 125.2 बिलियन डॉलर रहा, जो कि पिछले साल के मुकाबले 2.5 गुना अधिक है। पिछले साल समान अवधि में व्यापारिक घाटा 53.8 बिलियन डॉलर था।
250 बिलियन डॉलर पहुंच सकता है व्यापार घाटा
विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा आंकड़ों के आधार पर आकलन किया जाए तो वित्त वर्ष 2022-23 में व्यापार घाटा 250 बिलियन डॉलर को भी छू सकता है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान यह 192.4 बिलियन डॉलर था।
चालू खाते पर पड़ेगा नकारात्मक असर
लगातार बढ़ते व्यापारिक घाटे का असर देश के चालू खाता घाटे यानी सीएडी पर भी देखने को मिलेगा। यह निवेशकों के सेंटीमेंट, रुपये की कीमत और व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। किसी भी देश का चालू खाता उसके द्वारा एक निश्चित समयावधि में दुनिया के दूसरे देशों से किए गए आयात-निर्यात के आंकड़ों को दिखाता है।