देहरादून : विश्व हिन्दी सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश एवं स्वामी श्री स्वरूपनन्द सरस्वती महाविद्यालय भिलाई (छतीसगढ़) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 27वें राष्ट्रीय अधिवेशन, देहरादून के लब्ध प्रतिष्ठ भाषाविद एवं साहित्यकार डॉ जयन्ती प्रसाद नौटियाल को सर्वोच्च राष्ट्रीय साहित्य सम्मान “साहित्य गौरव” से सम्मानित किया गया । संस्था के अध्यक्ष एवं प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख ने डॉ नौटियाल के साहित्य और भाषा के लिए किए गए योगदान के लिए उनकी सराहना की और कहा कि उनका भाषा शोध 2023 प्रामाणिक है इसमे डॉ नौटियाल ने हिन्दी को विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा सिद्ध किया है ।
इस अवसर पर बोलते हुए संस्था के उपाध्यक्ष एवं सोनभद्र ( उ प्र ) किशोर न्यायालय के सदस्य डॉ ओम प्रकाश त्रिपाठी जी ने डॉ नौटियाल कि साहित्य सेवा को सराहा और उनके भाषा शोध 2023 का समर्थन करते हुए इसके प्रचार प्रसार हेतु सभी विद्वानों से अनुरोध किया । संस्था के सचिव श्री डॉ गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने अपने परिचयात्मक उद्बोधन में संस्था के सम्मान के महत्व पर प्रकाश डाला एवं डॉ नौटियाल के भाषा शोध 2023 की तथा उनकी साहित्य साधना की सराहना की । मंचासीन सभी गणमान्य विद्वानों ने डॉ नौटियाल को शाल ओढा कर स्मृति चिन्ह सहित “साहित्य गौरव” की उपाधि से सम्मानित किया।
इस सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि रायपुर छत्तीसगढ़ स्थित मैट्स विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ के पी यादव ने विश्व विद्यालय की ओर से डॉ नौटियाल को सम्मानित करते हुए कहा की डॉ नौटियाल का भाषा शोध 2023 एक प्रामाणिक शोध है तथा वे इस शोध से पूर्णत: सहमत हैं।
प्रोफेसर डॉ लक्ष्मीकान्त वैष्णव ने साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित होने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ नौटियाल का परिचय देते हुए कहा कि “डॉ जयंती प्रसाद नौटियाल,का जन्म 3 मार्च 1956 को देहरादून में हुआ । डा नौटियाल, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से उप महाप्रबंधक पद से सेवा निवृत्त होकर देहरादून में निवास कर रहे हैं। डॉ नौटियाल ने अनेक राष्ट्रीय एवं विश्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इन्हे विश्व का सर्वाधिक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त है। इनका बायोडाटा (Resume) विश्व का सबसे वृहद एवं अद्वितीय है। यह 8 खंडों में है तथा 4500 से अधिक पृष्ठों में है। इसमें डॉ नौटियाल की 5100 उपलब्धियां दर्ज हैं । डॉ नौटियाल ने एम ए, पी एच डी, डी लिट, एम बी ए, एल एल बी सहित 81 डिग्री/डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स किए हैं।
इन्होंने 88 पुस्तकों के लेखन में योगदान दिया है,इनकी अधिकांश पुस्तकें विश्वविद्यालयों में पाठ्य पुस्तक व संदर्भ पुस्तकों के रूप में चल रही हैं। इन्होंने हिंदी साहित्य को 1850 रचनाओं से समृद्ध किया है। इन्हें हिंदी भाषा और साहित्य के लिए 112 अवॉर्ड, सम्मान, और पुरस्कार मिल चुके हैं। इनके सेवा कार्य और शोध के लिए 225 प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए हैं। राष्ट्र की 140 शीर्ष समितियों में इन्होंने प्रतिनिधित्व किया है। शोध के क्षेत्र में भी इनका योगदान उल्लेखनीय है,इन्होंने 167 शोध परियोजनाओं को संपन्न किया है। इन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में 730 व्याख्यान दिए हैं।
इन्होंने 150 प्रकार के बौद्धिक कार्यों में योगदान दिया है। इन्हें 73 प्रकार के व्यवसायों/ पदों पर कार्य करने का अनुभव है। इनके विवरण 911से अधिक वेबसाइटों में उपलब्ध हैं। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी इन्हे स्थान मिला है। डॉ नौटियाल का शोध “ विश्व में हिन्दी सबसे बड़ी भाषा है , सम्पूर्ण विश्व में बहु चर्चित शोध आलेख है । यह शोध आलेख विश्व के हजारों समाचारपत्रों एवं पत्र पत्रिकाओं तथा वेब पोर्टलों पर उद्धृत हो चुका है । हिंदी विकिपीडिया, अंग्रेजी विकिटिया जैसे अन्य पोर्टलों पर इनके विवरण उपलब्ध हैं।
इस समारोह के विशिष्ट अतिथि,शासकीय महाविद्यालय रायगढ़ के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्र शेखर सिंह जी एवं स्वामी श्री स्वरूपनन्द सरस्वती महाविद्यालय कि प्राचार्या डॉ हंसा शुक्ला ने अपने व्याख्यान में विश्व हिन्दी सेवा संस्थान के सम्मान प्राप्त साहित्यकारों को बधाई दी एवं विश्व हिन्दी सेवा संस्थान की साहित्य के प्रचार प्रसार में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संयोजन डॉ सरस्वती वर्मा ,डॉ रेशमा अंसारी, डॉ मदुरै त्रिपाठी, श्रीमति सीमा निगम द्वारा किया गया। उक्त सम्मान समारोह में सम्पूर्ण भारत पधारे हिन्दी के विद्वान, साहित्यकार, हिन्दी प्राध्यापक तथा संस्था के राष्ट्रीय पदाधिकारी उपस्थित रहे।