देहरादून। उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास की तबीयत बिगड़ने से अचानक उनकी मृत्यु हो गई। चंदन राम दास अपने गृह क्षेत्र बागेश्वर में भ्रमण पर थे। कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास की तबीयत बिगड़ी थी जिसके बाद उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टरों द्वारा उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया, उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई, जिसके बाद उन्हें चिकित्सकों ने मृत घोषित कर किया। जिसके बाद से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है।
आपको बता दें इस दौरान मुलाकात करने जिले के प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा भी अस्पताल पहुंचे थे। दरअसल चंदन राम दास का स्वास्थ्य लंबे समय से खराब चल रहा था, उन्हें लंबे समय से अस्पताल में उपचार के बाद चिकित्सकों ने छुट्टी दी थी, आज उनकी पुनः तबीयत खराब होने के बाद उनका निधन हो गया है।
लगातार चार बार बने सुरक्षित सीट से विधायक
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बागेश्वर विधानसभा में चार बार से लगातार विधायक चुने जा रहे चंदन राम दास को इस बार कैबिनेट में जगह मिली है। वह कद्दावर जनप्रतिनिधि के साथ ही संगठन में बेहतर तालमेल के लिए जाने जाते हैं। जनता में भी उनकी लोकप्रियता है। उनका लंबा राजनीतिक अनुभव व पार्टी और संगठन के प्रति निष्ठा की वजह से पर्यवेक्षकों को भी उनके नाम पर मुहर लगाने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
छात्र राजनीति से कैबिनेट मंत्री तक
चंदन राम दास का राजनीतिक करियर 1980 में शुरू हुआ। वह 1997 में नगर पालिका बागेश्वर के निर्दलीय अध्यक्ष बने। इससे पूर्व एमबी डिग्री कालेज हल्द्वानी में बीए प्रथम वर्ष में निर्विरोध संयुक्त सचिव बने। 1980 से राजनीति जीवन की शुरूआत की। 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की प्ररेणा पर भाजपा में शामिल हुए। 2007, 2012, 2017 और 2022 में वह लगातार चौथी बार विधायक चुने गए।
दास जहां म़ृदभाषी हैं, वहीं विधानसभा में उनकी अच्छी है। लेकिन तीन बार विधायक चुने जाने के बाद भी वह मंत्री नहीं बन सके थे। क्षेत्र के लोग भी इस बार आशान्वित थे कि यदि इस बार दास जीते तो मंत्री पद के भी दावेदार हो सकते हैं। इस चुनाव में बागेश्वर विधानसभा से टिकट को लेकर पूर्व जिपंअ दीपा आर्य भी दावेदार मानी जा रहीं थीं। दास को यह एक चुनौती थी। लेकिन संगठन और लोकप्रियता के कारण उन्हें टिकट मिलने में आसानी हुई। वह कैबिनेट मंत्री बने।