नई दिल्ली : गुजरात के सूरत शहर की एक अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराया। उसे कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है। अब अदालत की सजा के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर लोक लग जाएगी? क्या वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे? यानी कहा जाए तो उनकी सांसदी चली जाएगी? आइए समझते हैं पूरे मामले को…
जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8(3) के तहत राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा तकनीकी रूप से लोकसभा से अयोग्य ठहराती है। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं।
किस स्थिति में चली जाएगी राहुल की सदस्यता?
सूरत की निचली अदालत के फैसले की कॉपी को अगर प्रशासव लोकसभा सचिवालय को भेज देता है तो इसके बाद यदि लोकसभा अध्यक्ष उसे स्वीकार कर लेते हैं तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सदस्यता चली जाएगी। अगर ऐसी स्थिति आई तो राहुल गांधी छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
क्या है रिप्रेजेंटेंशन ऑफ पीपल्स एक्ट जिसके तहत चुनाव लड़ने पर लगती है रोक
रिप्रेजेंटेंशन ऑफ पीपल्स एक्ट 1951 की धारा 8 (1) और 8 (2) के मुताबिक जहां सजायाफ्ता को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिए जाने की बात की गई है वहीं 8 (3) में इसे दो साल या इससे ज्यादा सजा होने पर व्यक्ति विशेष को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिए जाने की बात कही गई है।
राहुल के पास अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का विकल्प
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के पास अभी दो विकल्प बचे हुए हैं जिससे वह इन सब परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। राहुल गांधी पहले हाईकोर्ट में अपील करेंगे अगर यहां से राहत नहीं मिलती है तो फिर वह सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। यदि यहां से भी राहत नहीं मिलती है तब फिर उनके पास कोई रास्ता नहीं बचेगा। उनकी लोकसभा सदस्या जा सकती है और छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है।