नई दिल्ली: जंतर-मंतर पर मेडल जीतने वाले पहलवान कई दिनों से धरने पर बैठे हैं। पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि आप हाई कोर्ट जा सकते हैं। इधर, धरनास्थल पर रात में पहलवानों के साथ हुई पुलिस की झड़प के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। पहलवानों ने भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। पिटाई, चोट, नारेबाजी, शोर, हंगामे की खबरों के बीच अब इस प्रोटेस्ट में खापों की एंट्री हो रही है। दरअसल, पहलवान आम लोगों से अपने समर्थन में आने की अपील कर रहे हैं। खबर है कि पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान और खाप पंचायतें अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि पहलवानों का प्रोटेस्ट बड़ा रूप ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही खाप की तरफ से कहा जा रहा था कि पहलवानों की मांगें नहीं मानी जाती हैं तो बंद का ऐलान किया जाएगा। कुछ दिन पहले ही दिल्ली, हरियाणा और यूपी की खाप पंचायतों के प्रतिनिधि जंतर मंतर पहुंचे थे। किसान नेता राकेश टिकैत भी पहलवानों से मिलकर सपोर्ट कर चुके हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि किसान आंदोलन जैसा सीन बनाने की साजिश तो नहीं हो रही है?
7 मई को दिल्ली में जुटान
मुजफ्फरनगर में सर्वखाप मुख्यालय पर खाप चौधरियों की बैठक में तय हुआ है कि 7 मई, रविवार को सभी खाप नेता जंतर मंतर पहुंचेंगे। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) समेत कई किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी रविवार को दिल्ली में जुटेंगे। इससे लग रहा है कि जंतर-मंतर किसान आंदोलन पार्ट-2 का रूप लेता जा रहा है। एक दिन पहले ही प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाने आ रहे हरियाणा के किसान समूहों को पुलिस ने सिंघू बॉर्डर पर रोक दिया था। गाड़ियों को थाने में बंद कर दिया गया था। अधिकारियों ने बताया था कि 24 लोगों को हिरासत में लिया गया। जंतर-मंतर पर बवाल के बाद दिल्ली पुलिस ने गश्त और सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी है। किसान आंदोलन से सबक लेते हुए दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में काफी अवरोधक लगा दिए गए हैं। हालांकि अभी बॉर्डर को बंद नहीं किया गया है। पुलिस का कहना है कि किसानों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए कड़ी चौकसी बरती जा रही है। पुलिस के पास इनपुट है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर दिल्ली आने वाले हैं।
जंतर-मंतर पर जुटेंगीं खाप पंचायतें
जंतर मंतर पर चल रहे पहलवानों के धरने पर पुलिस ने दुर्व्यवहार किया। ऐतिहासिक सर्वखाप मुख्यालय सौरम पर तत्काल पंचायत बुलाई गई, जिसमें खापों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सर्वसम्मति से 7 मई को दिल्ली चलने का फैसला किया गया है।
धनखड़ खाप ने पहले ही किया था ऐलान
किसान नेता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया है कि पहलवानों का समर्थन करने वालों को केंद्र सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस हिरासत में ले रही है। सुप्रीम कोर्ट में पहलवानों की याचिका पर सुनवाई से पहले ही धनखड़ खाप के प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा था कि शिकायतों के बावजूद कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष को गिरफ्तार नहीं किया गया। उन्होंने कहा है, ‘धनखड़ खाप, जाखड़ खाप, अहलावत खाप, कादियां खाप, बिरोहर-12, फोगाट खाप, शेरावत खाप, हुड्डा खाप, रोहतक खाप 84, नंदल खाप, मलिक खाप और झज्जर 360 खाप पहलवानों के समर्थन में हैं… अलग-अलग राज्यों के खाप पंचायतों को दिल्ली में बुलाकर रणनीति तैयार की जाएगी।’ वह तारीख 7 मई तय हो गई है।
किसान आंदोलन जैसा क्यों लग रहा?
पहलवानों के प्रदर्शन की किसान आंदोलन से तुलना की जाने लगी है। इसकी सबसे बड़ी वजह धनखड़ खाप के चीफ ओम प्रकाश धनखड़ के इस बयान में छिपी है। हाल में उन्होंने कहा था, ‘अगर सरकार हमारी बेटियों को इंसाफ दिलाने में फेल रहती है तो हम हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और देश के दूसरे हिस्सों में हाइवे ब्लॉक करेंगे। यह हमारी बेटियों की प्रतिष्ठा की लड़ाई है, जिन्होंने पूरे देश का मान बढ़ाया है। सरकार WFI के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है जो यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे हैं। भाजपा लड़कियों को बचाने की बात करती है लेकिन वह महिला पहलवानों को सम्मान नहीं दे पा रही है। वोट बैंक के लिए वह एक आरोपी को बचा रही है।’ दिल्ली के पालम 360 खाप के प्रमुख सुरेंद्र सोलंकी ने भी कहा है कि राजधानी में अलग-अलग राज्यों के सभी खापों की बैठक होगी और यह तय होगा कि आगे कैसे बढ़ा जाए। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत कई पार्टियों के नेता पहलवानों से मिलकर सपोर्ट दे चुके हैं। ऐसे में मामला फिलहाल शांत होता नहीं दिख रहा है।