नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संकेतों में संदेश देने की कला में माहिर हैं। वो कैमरों के आगे अपनी भाव-भंगिमाओं, अपने कृत्यों से दुनियाभर को ऐसे संदेश दे जाते हैं जिसका अर्थ निकालने में सैकड़ों शब्द खर्च करने पड़ जाते हैं। भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच चौथा और आखिरी टेस्ट शुरू होने से पहले अहमदाबाद स्टेडियम पहुंचकर भी प्रधानमंत्री ने बड़ा संदेश दिया। वो गुजरात के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज (Anthony Albanese) के साथ पहुंचे। भले ही दोनों प्रधानमंत्री क्रिकेट मैदान में थे, लेकिन संदेश खेल की सीमा से इतर कूटनीति के मैदान तक पहुंच गया। ऑस्ट्रेलिया क्वाड का सदस्य है। कहना न होगा कि भारत, ऑस्ट्रेलिया के सिवा अमेरिका और जापान का यह गठबंधन चीन की विस्तारवाद सोच पर लगाम लगाने के लिए बना है। निश्चित रूप से क्रिकेट फील्ड पर क्वाड देशों के दो प्रधानमंत्रियों की एकजुटता के प्रदर्शन वाली तस्वीर से कूटनीति के मैदान में बड़ी चाल चली गई है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती मैत्री से चीन को साफ संदेश
समुद्र में चीन की बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर क्वाड देश नई-नई रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं। चारों देश विकास से लेकर सामरिक मुद्दों पर एक-दूसरे की तरफ हाथ बढ़ा रहे हैं। इसी क्रम में भारत ने साल 2020 में पहली बार अपने बहुचर्चित नौसैनिक अभ्यास मालाबार (Malabar Exercise) में ऑस्ट्रेलिया को शामिल किया। अब इस वर्ष अगस्त महीने में पहली बार मालाबार नौसैनिक अभ्यास ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया जाएगा। भारत मालाबार एक्सरसाइज में अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों के साथ-साथ लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान भी भेजेगा। चीन के साथ बिगड़े रिश्तों के बीच भारत और ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती साझेदारी को काफी अहम माना जा रहा है। चीन काफी तेजी से अपनी नौसेना का विस्तार कर रहा है। वह पहले से ही 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। क्वाड देशों को इसका मतलब अच्छे से पता है, इसलिए आने वाले वर्षों में किसी भी चुनौती से निपटने के लिए समुद्री साझेदारी की आवश्यकता महसूस की जा रही है। क्वाड के सभी चार सदस्यों ने चीन की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया और साफ कहा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किसी उसकी प्रकार की ‘जबरदस्ती’ नहीं चलने दी जाएगी।
क्वाड के इतर भारत-ऑस्ट्रेलिया का प्रगाढ़ होता निजी रिश्ता
चीन को भी क्वाड के इतर भारत-ऑस्ट्रेलिया के निजी संबंधों की भी अच्छे से खबर है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर एक साल में तीन बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चा चुके हैं। पिछले साल उन्होंने क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मेलबर्न का दौरा किया था। हालिया दौरे में उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए विश्व की दिशा तय करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। इस दौरान द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी, आर्थिक अवसर, लोगों के बीच संबंध, क्रिकेट और हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत कई विषयों पर चर्चा हुई। वहीं, रायसीना सिडनी बिजनेस ब्रेकफस्ट में जयशंकर ने कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात में भारत और ऑस्ट्रेलिया को एक-दूसरे के लिए और भी ज्यादा काम करना होगा।
भारत की आजादी से पहले जुड़ गया था ऑस्ट्रेलिया के साथ रिश्ता
ऑस्ट्रेलिया के साथ कूटनीतिक रिश्ते की कहानी भारत की आजादी ही शुरू हो गई थी। 1941 में भारत का पहला कॉन्स्युलेट जनरल सिडनी के ट्रेड ऑफिस में खुला था। फिर ऑस्ट्रेलिया ने 1945 में भारत के लिए अपना पहला उच्चायुक्त नियुक्त किया था। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री की वेबसाइट कहती है कि ऑस्ट्रेलिया ने अपनी अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों में भारत को अग्रिम स्थान दे रखा है। इसमें कहा गया है, ‘नेताओं की नियमित मुलाकातों के बाद 2014 में प्रधानमंत्रियों के दोतरफा दौरे हुए थे। फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल (Malcolm Turnbull) ने अप्रैल 2017 में नई दिल्ली और मुंबई का दौरा किया था।’ फिर 21 मार्च, 2022 को भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरी वर्चुअल मीटिंग हुई जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तत्कालीन प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिशन से कई प्रमुख रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई थी। उसमें दोनों नेताओं ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा, साइबर, तकनीक और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने माना कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय रिश्ते आपसी विश्वास, समझदारी, पारस्पिक हितों और लोकतंत्र के साझे मूल्यों के साथ-साथ कानून के शासन की मजबूत नींव पर रखे गए हैं जो लगातार मजबूत हो रहे हैं।
अमेरिकी इंटेलिजेंस ग्रुप की चीन पर चिंतानक रिपोर्ट
उधर, अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्युनिटी की रिपोर्ट में भारत और चीन के बीच जारी तनाव को लेकर बड़ी आशंका व्यक्त की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गलवान में हुई हिंसा के बाद से ही भारत-चीन के संबंध नहीं सुधर पाए जिसके भविष्य में और बिगड़ने की आशंका है। दरअसल, अमेरिकी खुफिया विभागों की संयुक्त रिपोर्ट में दुनिया में चीन के बढ़ते दबदबे के खतरे को प्रति आगाह किया गया है। इसमें अमेरिकी इंटेलिजेंस अधिकारियों ने चेतावनी दी कि भारत और चीन, दोनों के परमाणु हथियार संपन्न होने के कारण सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में भारी विनाश होगा। अमेरिकी संसद में देश एक शीर्ष सैन्य कमांडर ने दावा किया कि चीन के पास 1000 से ज्यादा इंटर बैलिस्टिक मिसाइल हैं।
ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक ने भी चीन पर जताई चिंता
वहीं, ऑस्ट्रेलिया के एक थिंक टैंक ऑस्ट्रेलियाई सामरिक नीति संस्थान (The Asutralian Strategic Policy Institute) ने भी अडवांस्ड टेक्नॉलजी के क्षेत्र में चीन का दुनियाभर में दबदबा बढ़ने के खतरे गिनाए हैं। इस थिंक टैंक एक साल की स्टडी के बाद प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिहाज से बेहद कारगर 44 तकनीकों में 37 में चीन आगे है। इनमें इलेक्ट्रिक बैटरी, हाइपरसोनिक्स, 5जी और 6जी जैसे उन्नत रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार सेवाओं वाली तकनीक शामिल हैं। रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक आर्थिक ताकत बनने की दिशा में सिर्फ बुनियादी ढांचा और आर्थिक कारोबार बढ़ना ही जरूरी नहीं होता है। चीन ने इस तथ्य को पहले ही समझ लिया था। इसीलिए उसने अपनी प्रतिभाओं को तराशने, अपनी शैक्षिक स्थिति और व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे।
रिपोर्ट कहती है कि चीन अपनी पहलों की वजह से वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति की दुनिया में नया इतिहास रच रहा है और ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी खेमे के देशों के थिंक टैंक भी चीन की ताकत को ना सिर्फ स्वीकार करने लगे हैं, बल्कि वैश्विक तकनीकी विकास में उसे रेखांकित भी करने लगे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 44 में चार टेक्नॉलजी में भारत शीर्ष पांच देशों में दूसरे स्थान पर है, जबकि 15 तकनीकों की सूची में शीर्ष तीसरे स्थान पर है। स्मार्ट मैटेरियल्स, कंपोजिट मैटेरियल्स, मशीनिंग प्रॉसेस और बायोफ्यूल्स में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। नैनोस्केल मैटेरियल्स, कोटिंग सहित 15 अन्य में तीसरे स्थान पर है। भारत की यह प्रगति निश्चित रूप से चीन को चुभने वाली है।
मोदी-अल्बानीज ने स्टेडियम में लगाया चक्कर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बानीज के साथ गोल्फ कार्ट से स्टेडियम का चक्कर लगाया। यह कार्ट गोल्फ खिलाड़ियों को गोल्फ कोर्स ले जाने के लिए होता है। कार्ट के चक्कर लगाते वक्तब स्टेडियम दर्शकों की तालियों से गूंज रहा था। दोनों प्रधानमंत्रियों ने टॉस से पहले अपनी-अपनी क्रिकेट टीम के कप्तानों को टेस्ट कैप सौंपी। इसके बाद पीएम मोदी ने कप्तान रोहित शर्मा और ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज के हाथ पकड़कर एक-दूसरे से मुलाकात करवाई। इतना ही नहीं, पीएम मोदी ने खुद ऑस्ट्रिलया के कप्तान स्टीव स्मिथ से भी हाथ मिलाकर उनकी हौसला आफजाई की। ध्यान रहे कि पीएम मोदी ने अहमदाबाद में सबसे पहले किसी विदेशी मेहमान का स्वागत किया था, तो वो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही थे। 2014 में पीएम मोदी और राष्ट्रपति की अहमदाबाद से आईं तस्वीरें काफी चर्चित रहीं। नौ वर्ष बाद उसी अहमदाबाद से राष्ट्रपति शी और उनके देश चीन को कड़ा संदेश दे दिया गया है।